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Tuesday, April 4, 2017
Thursday, November 24, 2016
Thursday, November 10, 2016
Wednesday, November 9, 2016
IPS INTERVIEW
मेहनत के साथ तैयारी और स्मार्टनेस भी जरूरी है : आईपीएस आरिफ एच. शेख

चन्द्रमोहन द्विवेदी. मैं अपनी फैमिली में फोर्थ जनरेशन का पुलिसमैन हूं। परदादा जी, दादाजी और पिताजी पुलिस में अलग-अलग रैंक पर सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें देखता बड़ा हुआ तो शुरू से ही मन में पुलिस में जाने की इच्छा रही। बचपन में हम जहां रहते थे, वहां पुलिस के बड़े अधिकारियों को देखते थे और उनका रूतबा भी देखते थे। तब यह अनुभव हुआ था कि पुलिस में बड़े अधिकारियों को कितनी इज्जत मिलती है। बस इन्हीं वजहों से आईपीएस बना।
यह कहना है वर्तमान में बलौदाबाजार एसपी की जिम्मेदारी संभाल रहे आईपीएस आरिफ एच. शेख का। हाल ही में आरिफ एच. शेख को बालोद जिले में कम्यूनिटी पुलिसिंग में बेहतरीन काम के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने सिविल सर्विस को लेकर पत्रिका से खास चर्चा की...
यह कब तय किया कि यूपीएससी क्वॉलिफाई करना है?
जवाब : मेरे परदादा से लेकर पिताजी तक पुलिस में रहे हैं। उन्हें देखते बड़ा हुआ, तभी मन में था कि पुलिस में जाना है। आईपीएस बनने के बारे में क्वॉटर के पास रहने वाले बड़े पुलिस अधिकारियों को देखकर तय किया। कह सकता हूं कि बचपन से ही आईपीएस बनना चाहता था।
प्रिपरेशन की कब से शुरू की?
जवाब : यूपीएससी में असफलता को लेकर अस्पष्टता वाली स्थिति रहती है, इसलिए मैं पहले अपने लिए कॅरियर के ऑप्शन खुले रखना चाहता था। ऐसे में मैंने अपने पुणे में गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और ढाई साल तक नौकरी की ताकि वर्क एक्सपीरियंस भी हो जाए। इसके बाद ही मैंने यूपीएससी के लिए प्रिपरेशन शुरू किया।
स्ट्रेटजी किस तरह की रही?
जवाब : यूपीएससी एग्जाम को लेकर एक हौवा का माहौल होता है। मेरे मन में भी था। इसके लिए मैंने पहले सिलेबस की थारो स्टडी की मैंने 20 साल के क्वैश्चन पेपर देखे और एनालिसिस किया। इसके बाद मैंने सिलेबस को अपने हिसाब से डिजाइन किया। इसमें से भी 60 फीसदी हिस्से को पूरी तरह 100 फीसदी पढऩे का तय किया। सिलेबस के लिए बाजार में मौजूद सैकड़ों किताबों में टाइम जाया न करने के बजाय दो-तीन किताबें लेकर उन्हें गहनता से पढ़ा और उसके आधार पर अपने नोट्स तैयार किए।
मैं नोट्स क्वैश्चन-आंसर के पैटर्न पर बनाता था, जो मेंस के लिहाज से तैयार किए गए थे। इस तरह प्री एग्जाम के पहले मेरी तैयारी मेंस के लिहाज से भी हो गई थी। प्रीलिम्स में जनरल स्टडी की तैयारी के दौरान मैं समसायिकी घटनाक्रम में उस विषय से संबंधित हर एंगल पर जानकारी जुटाता था। मैंने सभी सब्जेक्ट को तैयारी के लिहाज से भी दो पार्ट में बांट रखे थे। इस तरह स्ट्रेटजिक पैटर्न में तैयारी की और खुदकिस्मत रहा कि पहली बार में ही आईपीएस के लिए क्वॉलिफाई कर गया।
प्रिपरेशन में कोचिंग की अहमियत कितनी है?
जवाब : कोचिंग इस लिहाज से अहम है कि वहां आपको कुछ ऐसी चीजें मिल जाती हैं जो आपके नॉलेज पर ओवरलैप कर जाती हैं। दूसरा आपको पढ़ाई के लिए एक अच्छा ग्रुप मिल जाता है। आपका एनालिसिस एप्रोच यहां बढ़ता है।
असफलता पर निराश होने वालों के लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : हर कैंडिडेट को पहले खुद को डिफाइन करना चाहिए। अपनी क्षमता को पहचानें। साथ ही यूपीएससी जैसे एग्जाम में शामिल होने पर बैकअप प्लान भी रेडी रखना चाहिए। यह ऐसा एग्जाम है, जिसमें यदि क्वॉलिफाई नहीं भी कर पाए तो इतना कुछ सीखने को मिलता है कि यह कॅरियर में कई दरवाजे खोल देता है।
यूपीएससी की तैयारी में जुटने वाले नए कैंडिडेट्स के लिए क्या कहेंगे?
जवाब : जितनी ज्यादा मेहनत करेंगे, सफलता के चांस उतने ज्यादा बढ़ जाते हैं। पॉजिटिव एटीट्यूट के साथ तैयारी करें, लेकिन ओवर कॉन्फिडेंस में नहीं आना चाहिए। परीक्षा के जिस लेवल पर हों, उसी पर फोकस करें।
क्या ग्रामीण और शहरी क्षेत्रीयता का कोई असर होता है?
जवाब : मैं जहां तक देख रहा हूं अब यूपीएससी क्वॉलिफाई करने वालों में ग्रामीण क्षेत्र के युवा ज्यादा हैं। इसके पीछे एक वजह ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं का यूपीएससी की ओर रुझान बढ़ा है। दूसरा शहरी युवाओं के सामने कॅरियर ऑप्शन ज्यादा हैं।
यूपीएससी में अंग्रेजी की जरूरत पर क्या सोचते हैं?
जवाब : अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तो अंग्रेजी को फोकस करना बेहतर होता है, क्योंकि जब आप अधिकारी बन जाते हैं तब कई जगहों पर इससे आपको मदद मिलती है। वैसे अब हिन्दी और रीजिनल लैंग्वेज में भी यूपीएससी एग्जाम होने लगे हैं।
आईपीएस बनने के बाद खुद में कितना बदलाव देखते हैं?
जवाब : आईपीएस बनने के बाद लाइफ ज्यादा डिसिप्लिन हो गई है। चीजों को लेकर मैं ज्यादा और हमेशा अलर्ट रहने लगा हूं। मैं उस तबके को तत्काल राहत दिलाने की स्थिति में होता हूं, जो शायद दूसरी जगह नहीं होता। जवाबदारी और जिम्मेदारी बढ़ी है।
आपके लिए सफलता के मायने क्या हैं?
जवाब : सफलता एक मुकाम नहीं है, यह प्रवास है। कोई भी सफलता को आत्मसात कर हमें फिर शून्य से शुरू करना चाहिए। हमेशा अपना बेहतर देने का प्रयास करता हूं।
Success Mantra
-अपने आपका आकलन करना महत्वपूर्ण है।
-आप अपने सराउंडिंग में नियमित तौर पर कम्पेयर करते रहते रहिए।
-निरंतर ही अपने लिए डेस्टिनेशन एक्सप्लोर करते रहना चाहिए।
- सफलता केवल आपके लिए नहीं होती, यह आपसे जुड़े हर शख्स के लिए होती है।
मेहनत के साथ तैयारी और स्मार्टनेस भी जरूरी है।
Source:Patrika