Monday, June 22, 2015

bgt130
हमारी प्यास का अंदाज़ भी अलग है
दोस्तों,
कभी समंदर को ठुकरा देते है,
तो कभी आंसू तक पी जाते है..!!!
"बैठना भाइयों के बीच,
चाहे "बैर" ही क्यों ना हो..
और खाना माँ के हाथो का,
चाहे "ज़हर" ही क्यों ना हो..!!...$.D

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