Tuesday, January 12, 2016

Porn Things

index दुनिया की सबसे बड़ी पॉर्न वेबसाइट्स में से एक पॉर्नहब ने बताया कि भारत पॉर्न देखने के मामले में कनाडा को पिछाड़कर तीसरे नंबर पर आ गया है। अब सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन को पीछे छोड़ना बाकी है।

कितने गर्व की बात है न!

रिपोर्ट में भारतीयों की पॉर्न की पसंद भी बताई गई। बताया कि भारतीय सबसे ज्यादा अपने ही देश की औरतों, लड़कियों और नाबालिगों के पॉर्न विडियो देखना पसंद करते हैं। उसके बाद, भाभियों, ऐक्ट्रेस और फिर वाइफ, कॉलेज गर्ल, आंटी और टीन का नंबर आता है। इसमें आश्चर्य की बात नहीं कि सबसे ज्यादा यौन हिंसा भी इसी क्रम में बढ़ रहा है। कॉलेज गर्ल्स की मांग यौन उत्पीड़न और पॉर्न इंडस्ट्री दोनों के लिए बढ़ रही है। और यह सिर्फ भारत की बात नहीं, दुनियाभर की है।

इसे महज इत्तेफाक ही कहेंगे कि खबर पढ़ने के करीब 12 घंटे बाद ही फेसबुक पर सर्फिंग करते हुए मेन्स एक्सपी पर टेड टॉक का एक पुराना विडियो नजर आ गया। (This Man Will Make You Rethink Watching Porn In The Future)  टेड टॉक के ज्यादादर लेक्चर मुझे काफी पसंद हैं, लिहाजा इसे भी देखने लगा। एक युवक बता रहा है कि उसने पॉर्न देखना क्यों छोड़ा। रैन गैव्रिली। हालांकि, नाम से ज्यादा मेरा ध्यान उनके पेशे और बातों को जानने-समझने पर है। करीब 16 मिनट के विडियो में मैंने उनकी हर बात को सुना। गौर से सुना, जब उन्होंने बताया कि पॉर्न देखने का उनके बर्ताव पर क्या असर पड़ा। कैसे वह हिंसक होने लगे और उनकी सोच का दायरा कितना संकुचित हो गया।

इस्राइल के निवासी और तेल अविव यूनिवर्सिटी में जेंडर स्टडीज के स्कॉलर करीब तीस साल के रैन ने फिल्म्ड और नॉन फिल्म्ड दोनों ही तरह के प्रॉस्टिट्यूशन के दलदल में फंसी लड़कियों की जिंदगी को करीब से देखा। उनके बीच काम किया। रैन बताते हैं कि उन्होंने पॉर्न देखना दो वजहों से छोड़ा। पहली, इससे उनकी निजी फंतासी में गुस्सा और हिंसा बढ़ रहा था जो कि उनमें पहले नहीं हुआ करता था। और दूसरा, उन्हें महसूस हुआ कि सिर्फ पॉर्न देखनेभर से वह फिल्म्ड प्रॉस्टिट्यूशन की मांग को बढ़ावा दे रहे हैं। वह तर्क देते हैं कि ग्रीक शब्द pornē से हीprostitute और porneia यानी prostitutionबना। इसी तरह, graphein से to record बना। यानी, पॉर्नोग्रफी का मतलब हुआ फिल्म्ड प्रॉस्टिट्यूशन।

अगर माना जाए कि पॉर्नोग्रफी का उद्भव इन्हों शब्दों के मिलन से हुआ तो इसे मानने में भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि यह भी एक तरह का प्रॉस्टिट्यूशन है। अब सवाल उठता है कि प्रॉस्टिट्यूशन सही है या गलत। इसका जवाब मानवीयता, मजबूरी, मकसद और मौत के अंधेरे गहरे कुंओं से हर बार पूछा गया और जवाब में हमें इन्हीं शब्दों की गूंज वापस मिलती रही है। लेकिन, अगर रैन के अनुभव और रिसर्च को सही माना जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि पॉर्न के नाम पर लड़कियों का किस तरह शोषण किया जाता है। उनके साथ कैसी हैवानियत की जाती है और जिसे आप सहज-सेक्स कहकर पल्ला जाड़ देते हैं वह बेहद दर्दनाक होता है। फर्ज कीजिए, मेकअप लगाकर, दवाएं खाकर, बगैर किसी भावना के घंटों कैमरे के हिसाब से सिर्फ शरीर के दो अंगों का घर्षण कितना दुखद और दर्दनाक होता होगा।

रैन आंकड़े तो नहीं देते, लेकिन इतना जरूर बताते हैं कि इस धंधे के नाम पर चंद पॉर्न स्टार्स ही खुश रह पाती हैं। ऑन कैमरा या ऑफ कैमरा पॉर्न इंडस्ट्री में काम करने वाली युवतियों का करियर लंबा नहीं होता। उनके साथ तथाकथित सभ्य लेकिन पॉर्न देखने वाले लोग लंच करना पसंद नहीं करते। असंख्य लड़कियां मानव तस्करी का शिकार बनती हैं। और न जाने कितनी सोशल डेथ…यानी समाज से अलग-थलग अकेलेपन की गर्त में कूदकर जान दे देती हैं। तमाम ऐसी भी होती हैं, जिनका रेप किया जाता है और फिर उन्हें मार दिया जाता है। कुछ के बॉयफ्रेंड्स मारते हैं, तो कुछ इंडस्ट्री के गुंडों की भेंट चढ़ती हैं। तमाम ऐसी भी होती हैं, जो करियर की तलाश में करने कुछ आती हैं और उन्हें फंसाकर इस धंधे में डाल दिया जाता है।

तमाम लोग पॉर्न को किसी न किसी तरह की फ्रीडम से जोड़ते हैं। उन्हें टेड टॉक के इस विडियो में सुनना चाहिए कि इस इंडस्ट्री की एक सच्चाई यह भी है। यह भी जानना चाहिए कि पॉर्न का असर, एक इंसान के रूप में हम पर और एक वर्ग के रूप में समाज पर क्या पड़ रहा है। कुछ नहीं तो कम से कम आखिरी के पांच मिनट में यही जान लीजियेगा कि जिसे आप पॉर्न स्टार कहते हैं, उसका जीवन और फिर अंत कैसा होता है…हर कोई सनी लियोनी नहीं बन पाता। और सुनियेगा जरूर, रैन मोदी-संघ के कार्यकर्त्ता नहीं हैं और न ही भारत सरकार के लिए काम करते हैं। रैन एक हेल्पर हैं, जो इसी पॉर्न दुनिया में काम करते हैं।

इसके बाद, लगा कि रैन के अलावा और लोगों ने भी पॉर्न इंडस्ट्री की हकीकत पर कुछ न कुछ लिखा होगा। मैंने गूगल से पूछा, real life of porn stars, और जवाब में मुझे 2,30,00,000 रिजल्ट्स मिले। कई पढ़े, कई पढ़ने की हिम्मत नहीं। पॉर्न स्टार्स सर्च करने पर इससे करीब दो करोड़ ज्यादा4,03,00,000 सर्च रिजल्ट्स आते हैं। अगर ‘कॉमन मैथ’ के हिसाब से भी सोचा जाए तो रैन का पहलू भी मजबूत है।

फैसला आपका है। अब आप तर्क दीजिएगा कि लीगल कर देना चाहिए, कनाडा में तो लीगल है। अरे, फिर तो यूएस को भी देखिए। हर हफ्ते 211 पॉर्न फिल्में बनती हैं। कौन-सी ऐसी बड़ी कंपनी नहीं है, जो इसमें पैसा नहीं लगा रही। लेकिन, यहां कई लेयर्स में लीगल-इल्लीगल का चक्कर है। चाइल्ड पॉर्नोग्रफी तो कहीं भी लीगल नहीं। फिर भी, कोई साइट ऐसी नहीं मिलेगी जिसपर अलग सेक्शन न हो इसका। रेप का भी मिल जाएगा। फिर आपके ही अपने डायरेक्टर महेश भट्ट साब ने एक फिल्म भी बनाई थी। कलयुग। उसे ही याद कीजिए। लीगल वाला रास्ता कुछ हद तक सही है, पर पहले खपत घटाइये। हो सकता है एक बच्ची की जरूरत कम पड़े वहां।

मेरी बस एक छोटी सी गुजारिश है, सेक्स को प्रेम और प्रकृति का हिस्सा रहने दीजिए। प्रकृति को ही सेक्स मत बना दीजिए। हवस से हत्या ही होगी। किसी के चाहत की, किसी के सपने की तो किसी के अहसास की।

आप जिस रफ़्तार से पॉर्न विडियो देख रहे हैं, उसी तादाद में बच्चियां उठाई-बर्बाद की जा रही हैं। 125 करोड़ लोगों के भारत में तो कितने युवा हैं, यहां से ही शुरुआत क्यों न की जाए। रैन हाईस्कूल और इंटर के बच्चों को समझाते हैं, कॉर्पोरेट दफ्तरों में भी जाते हैं और यही बात हर जगह समझाते हैं कि आपके पॉर्न देखने से उनका धंधे को बल मिल रहा है। मत देखिए पॉर्न…और अगर यह मुमकिन नहीं तो खुद को ही मेरे सवाल का जवाब दे दीजिए। क्या आप एक पॉर्न इंडस्ट्री की लड़की के साथ फैमिली टेबल पर लंच करना करेंगे?

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