ऑनलाइन पोर्न देखने से मंदबुद्धि बन जाता है दिमाग
इंटरनेट पर मौजूद फ्री अश्लील सामग्री (पोर्न) के लोगों पर पडऩे वाले प्रभाव पर किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, सेक्स के हैबिच्युएल व्यक्तियों में यह अश्लील सामग्री उनकी सेक्स इच्छा को और भड़का देता है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि सेक्स व्यसन से ग्रस्त व्यक्ति अपने अन्य साथियों की अपेक्षा भोग की नई-नई छवियां तलाशते रहते हैं।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय की टीम ने की रिसर्च
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने यह भी बताया कि सेक्स के लती व्यक्ति सामान्य छवियों की अपेक्षा सेक्स छवियों वाले वातावरण से ज्यादा प्रभावित होते हैं। मनोचिकित्सा विज्ञान विभाग में चिकित्सक वालेरी वून ने बताया, अमूमन हम सभी इंटरनेट पर हमें उत्तेजित या प्रभावित करने वाली नई-नई चीजें खोजते हैं, चाहे वह खबरों की एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट पर जाना हो या फेसबुक से अमेजॉन या यूट्यूब पर लौटना।
वून ने कहा, लेकिन सेक्स के प्रति अत्यधिक रुचि रखने वाले व्यक्तियों के मामले में यह आदत उनके नियंत्रण से बाहर चली जाती है और उनका पूरा ध्यान नई-नई अश्लील चित्रों और साइटों पर रहता है। वास्तव में सेक्स की लत सामान्य-सी बात है। यह लत चार फीसदी युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। वेलकम ट्रस्ट द्वारा वित्तपोषित इस अध्ययन में वून और उनके सहयोगियों ने सेक्स के लती 22 पुरुषों और 40 सामान्य पुरुषों के व्यवहार का अध्ययन और विश्लेषण किया।
तस्वीरें देख कर बदल जाता है दिमाग
पहले कार्य में प्रतिभागियों को ऐसी तस्वीरें दिखाई गईं, जिनमें नग्न महिलाओं, कपड़े पहने हुई महिलाओं और फर्नीचर की तस्वीरें शामिल थीं। इसके बाद उन्हें अन्य तस्वीरें दिखाई गईं, जिसमें पहले दिखाई गई तस्वीरों से संबद्ध और बिल्कुल नई तस्वीरें शामिल थीं और उनसे कहा गया कि वे उनमें से एक तस्वीर चुनकर एक पाउंड राशि जीत सकते हैं। हालांकि प्रतिभागियों को यह नहीं बताया कि उनके जीतने की संभावना 50 फीसदी ही थी।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सेक्स के लती पुरुषों ने अधिकतर बिल्कुल नई तरह की नग्न तस्वीरें चुनीं। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सेक्स के लती व्यक्ति जब सेक्स से जुड़े एक जैसे चित्र देखते हैं तो उनके मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से की गतिविधि में गिरावट आती है। मस्तिष्क का यह हिस्सा इनाम मिलने की आशा होने और नई चीजों के प्रति सक्रिय हो उठता है। यह अध्ययन शोध पत्रिका साइकियाट्रिक रिसर्च के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ है। #MyTouchyline
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